कहो तो तुम्हारी आँखें बंद करके अपने हाथोंसे ,
तुम्हे गले से लगाकर ले चालू तुम्हे कहीँ दूर ......
की आँखें खोलो तो बस तुम और मैं और नीला आसमान ...
और कुछ भी नही ...
न तुम्हारी और न मेरी सोच ,
न तुम्हारी और मेरी आशाएं ,
बस तुम और मैं और नीला आसमान ....
तुम्हारी बाहें , और बाहों मे मैं ...
धीमी सी ठंडी हवा के झोंके , हलकी सी बारीष ...
पाऊँ टेल हरी गीली घास के गुदगुदाते कांटे ,
धीरे से तुम्हे छू के निकलती धुन्द ...
मुझको छू कर सताती धुन्द ...
फिर से मुझे छू कर तुम्हारे पास जाती धुन्द ....
आँखें खोलो तो बस तुम और मैं और एक मुस्कान होंन्ठों पर ,
तुम्हारे भी , हमारे भी ..
एक गुदगुदाती मुस्कान ...
सब कुछ बताती मुस्कान ....
तुम्हे मैं तो थाम लुंगी ...
ले चलूंगी वहाँ ...
बस मुझे नींद से ना जागने देना ...
बेहोश ही रहने देना मुझे ....
होश मे आगयी ,
तो साथ आजएंगी हमारी सोच , आजादी , विचारधारायें ...
सवाल ...और कई दर्रवने जवाब ...
जो मैं सुनना नही चाहती ...
अभी नही ...
अभी तो बस तुम और मैं और नीला आसमान ....
तुम्हारी बाहें , और बाहों मे मैं ...
कहो तो तुम्हारी आँखें बंद करके अपने हाथोंसे ,
तुम्हे गले से लगाकर ले चालू तुम्हे कहीँ दूर ......
जहाँ सोच न हो ...
बस तुम और मैं और नीला आसमान ....
तुम्हारी बाहें , और बाहों मे मैं ...
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